Sports :लॉकडाउन में वर्ल्ड मेडलिस्ट पूजा ढांडा की माँ का स्पेशल रिकवरी आइडिया


Sports/KESHARI NEWS24

कोरोनावायरस महामारी के कारण पूजा ढांडा अपने घर हिसार में रोज़ सुबह शाम की सामान्य प्रैक्टिस कर रही है ताकि वो फिट रहे सके और अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए वो योग भी करती है। हलाकि वो अभी तक मैट ट्रेनिंग से दूर है। एक खिलाड़ी के लिए जितना जरूरी ट्रेनिंग, डाइट होती है उसके साथ ही ट्रेनिंग के बाद रिकवरी भी उतनी ही महत्पूर्ण है। पूजा अपने घर में होने के कारण रिकवरी के लिए आइस बाथ नहीं ले पा रही थी। जो की एक वीक में 2 से 3 बार खिलाड़ी की रिकवरी के लिए बेहद जरुरी होता है। वर्ल्ड चैंपियनशिप के इस परेशानी का हल उनकी माँ कमलेश ढांडा ने निकाला और घर के ड्राम को ही आइसटब बना दिया।

26 वर्षीय ट्रेनिंग के बाद घर में होने के कारण आइस बाथ से दूर थी और यह उनके लिए परेशानी बनती जा रही थी। आख़िरकार उन्होंने इसके लिए अपनी माँ से बात की और माँ के पास अपने बच्चे की परेशानी का तोड़ ना हो ऐसा कैसे हो सकता है।

“मैं आइस बाथ नहीं ले पा रहे थी और परेशान थी फिर मेने अपनी माँ से कहा के मुझे आइस बाथ की जरुरत है रिकवरी के लिए, माँ ने फिर एक सुझाव दिया के हमारे पास ड्राम है उसमे आइस डाल कर नाहा ले बस फिर क्या था मेरी सारी प्रॉब्लम दूर हो गई। माँ का लॉकडाउन स्पेशल रिकवरी आइडिया काम कर गया ” पूजा ने रेसलिंगटीवी को बताया ।

वर्ल्ड मेडलिस्ट के घरवाले रेसलिंग को लेकर उन्हें बहुत सपोर्ट करते है साथ में उन्हें उनकी कमियों के बारे में भी बताते रहते है। जिसमे उनकी माँ उनको सबसे ज्यादा हेल्प करती है। पूजा की माँ उनके साथ उनकी बाउट देखती है और उनकी कमियों के बारे में भी बताती है।

“मेरे पेरेंट्स मुझे हर चीज में सपोर्ट करते है वो रेसलिंग के बारे में मुझसे बात करते रहते है लेकिन माँ सबसे ज़्यादा मेरी हेल्प करती है वो मेरे साथ मेरी बाउट देखती है और मुझे सुझाव देती है के तुझे इस खिलाड़ी के खिलाफ ज्यादा अटैक की जरुरत है वो एक बार जो मेरी बाउट देख लेती है उनको याद रहता है और फिर वो मुझे बताती रहती है” पूजा ने बताया ।

पूजा फिलहाल अपनी मानसिक मजबूती पर भी ध्यान केंद्रित कर रही हैं। इसके लिए वो रोजाना योगाभ्यास कर रही है।

“यह लॉकडाउन मेरे लिए अच्छा साबित हो रहा है। इससे पहले, मैं प्रति दिन दो प्रशिक्षण सत्रों के कारण नियमित रूप से योग का अभ्यास नहीं कर पाती थी । लेकिन अब अधिक समय के साथ, मैंने इसे अपनी दिनचर्या में नियमित रूप से शामिल कर लिया है। मैं रोज शाम को ध्यान और योग करता हूं। एक सत्र दो घंटे का होता है, ” रेसलिंगटीवी को बताया।

“मेरा शरीर बहुत फ्लेक्सिबल नहीं है। लेकिन अब मैं पहले से थोड़ा अधिक फ्लेक्सिबल महसूस करती हूं। साथ ही योग मुझे ध्यान केंद्रित करने में मदद कर रहा है ”

उनका मानना है कि योग को हर खेल में शामिल किया जाना चाहिए। एथलीटों को इसका अभ्यास करना चाहिए, क्योंकि यह उन्हें ताज़ा और शांत रहने में मदद करेगा। “मेरा मानना है कि हर खेल में कम से कम एक सत्र योग का होना चाहिए।”

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