Varanasi : काशी का कौटिल्य, 11 साल के बच्चे ने 19 घंटे में श्रीमद भगवद्गीता, 9 उपनिषद और 5 दर्शन कंठस्थ किया, योगगुरु बोले- आगे चलकर ....


  • पतंजलि गुरूकुलम हरिद्वार में कक्षा 6 का छात्र है अक्षत
  • साल 2019 में परिवार ने दिलाया था प्रवेश

वाराणसी. काशी... जहां कण कण में भगवान भोले व चहुंओर ज्ञान की गंगा बहती है। इसे एक बार फिर सच कर दिखाया है 11 साल अक्षत पांडेय ने। अक्षत कैथी गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी अल्पायु में महज 19 घंटे के भीतर श्रीमद भगवतगीता, 9 उपनिषद और पांच दर्शन पूरी तरह कंठस्थ कर लिया है। सबसे बड़ी बात ये है कि योग गुरु बाबा रामदेव भी अक्षत की प्रतिभा के मुरीद हो गए हैं। बाबा रामदेव ने 6 जून को एक भक्ति टेलीविजन चैनल पर टेलीकास्ट के दौरान अक्षत के मेधा की खूब तारीफ की और भविष्य में वेद अध्यन के क्षेत्र में आइकन बनने का भरोसा जताया। इसके बाद से अक्षत को काशी को कौटिल्य लोग कहने लगे हैं। 

एक बार पढ़ने पर कंठस्थ हो जाती विषय वस्तु

दरअसल, अक्षत पांडेय वर्तमान में योगगुरु स्वामी रामदेव द्वारा संचालित पतंजलि गुरुकुलम हरिद्वार में कक्षा छह का छात्र है। संस्थान में उसका प्रवेश 25 मार्च 2019 को हुआ था। महज 14 माह में अक्षत ने अनेक ग्रंथों को कंठस्थ कर लिया है। इसके चलते वह सभी गुरुजनों का प्रिय हो चुका है। पिता अरुण कुमार पांडेय कैथी गांव में जनसुविधा केंद्र का संचालन करते हैं। मां साधना पांडेय गृहणी हैं। दंपती स्नातक हैं। अक्षत का बड़ा भाई देव मिहिर पांडेय राजवारी में लक्ष्मी शंकर इंटर कॉलेज में हाईस्कूल का छात्र है। अक्षत के दाता चिंताहरण पांडेय सेना में थे। अब वे अवकाश प्राप्त हैं। 

KESHARI NEWS24
अक्षत।

पिता ने बताया कि, अक्षत जो कुछ एक बार पढ़ लेता है, उसे वह कंठस्थ हो जाती है। उसकी इसी क्षमता को देखते हुए अपनों से दूर गुरुकुल में शिक्षा भेजने का कठिन निर्णय लिया था। लेकिन वह हमारी उम्मीदों पर खरा उतर रहा है। मेहनत कर रहा है। इसे देखकर लगता है कि हमारा त्याग व परिश्रम सार्थक होगा। 

अक्षत अब वेद और अष्टाध्यायी (पण विकृत) याद करने में जुटा है। ग्रंथों को कंठस्थ करने के साथ ही अक्षत को योग और प्राणायाम में भी महारत हासिल हुई है। जिस प्रकार गणना के अद्भुत  ज्ञान के लिए गूगल ब्वाय कौटिल्य की ख्याति है उसी प्रकार जल्द ही काशी के अक्षत की भी वेद अध्ययन के क्षेत्र में एक विशेष पहचान होगी। 


पतंजलि गुरूकुलम।

कक्षा आठ पास करने के बाद ही लौटेगा घर
पतंजलि गुरूकुलम के नियम के अनुसार प्रवेश के बाद छात्र कक्षा 8 उत्तीर्ण करने के बाद ही घर वापस लौट पाएगा। माता पिता वर्ष में एक बार गुरूकुलम जाकर बच्चे से मिल सकते हैं। 14 महीने की अवधि में अक्षत के माता पिता मात्र एक बार उससे मिले हैं। उसकी प्रगति और उपलब्धियों की सूचना नियमित मिलती रहती है। पतंजलि गुरूकुलम में अक्षत की दिनचर्या बहुत ही व्य्वास्थ्तित और अनुशासित है, योग ध्यान से लेकर भाषा, आध्यात्म और विज्ञान की पढ़ाई कराई जाती है। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !