नौका विहार करते डीएम कौशलराज शर्मा (बाएं)
वाराणसी. कोरोनावायरस महामारी के बीच संकट के 92 दिन गुजारने के बाद नाविकों को गंगा नदी में नाव संचालन की अनुमति मिल गई। मंगलवार को दशाश्वमेध घाट पर नाविकों ने गंगा मइया की पूजा अर्चना की। इस मौके पर खुद डीएम कौशलराज शर्मा भी पहुंचे। उन्होंने नाविकों के हाथों प्रसाद भी खाया। इसके बाद नाव की सवार भी की। डीएम ने नाविक शंभू साहनी को 2000 रुपए दिए। लेकिन, शंभू ने इसे मेहनत से ज्यादा बताते हुए सिर्फ 100 रुपए स्वीकारने की बात कही। तब डीएम ने कहा- यह पैसे बच्चों के लिए है। आज बच्चों के लिए मिठाई लेकर घर जाना। आज खुशी का दिन है।
आज 93वें दिन मंगलवार को गंगा के आंचल में गंगापुत्रों की नावें अठखेलियां कर रही थीं। काशी में नाविकों को गंगा पुत्र कहा जाता है। 22 मार्च से गंगा में जिला प्रशासन द्वारा नाव संचालन रोक दिया गया था। इसके चलते 10 नाविकों के परिवार पर भुखमरी का संकट खड़ा हो गया था। अनलॉक-1 में भी जहां मठ-मंदिर खोल दिए गए, वहीं नावों के चप्पू शांत थे।
बनारस नौकायान सेवा समिति के अध्यक्ष शम्भू नाथ निषाद ने बताया- "हम नाविक समाज नाव व मां गंगा की पूजा अर्चना कर रहे थे। तभी डीएम कौशलराज शर्मा आ गए। उन्होंने प्रसाद ग्रहण कर हम सभी को नई शुरुआत का आशीर्वाद दिया।"
प्रशासन की शर्तों का करना होगा पालन
जिला प्रशासन ने नाव संचालन के लिए सशर्त मंजूरी दी है। इसके लिए नाविकों को नगर निगम में एक फार्म भरना पड़ा है। इसमें महज पांच पर्यटकों को एक साथ बैठाने, मास्क लगाने व सैनिटाइजर की व्यवस्था जैसे नियमों का पालन करना होगा। नावें सुबह छह बजे से शाम छह बजे की चलेंगी।
नावकों के अपने दर्द मगर चेहरे पर दिखा उत्साह
वहीं, नाविकों के अपने दर्द हैं। लोगों का कहना है कोरोनाकाल में तीन माह कैसे गुजरे, यह बता नहीं सकते हैं। तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। कई लोग कर्ज में डूब गए हैं। प्रशासन ने नाव में एक साथ 5 लोगों के बैठने की अनुमति दी है। लेकिन घाट पर पर्यटक नहीं आ रहे हैं। छोटे मोटे अनुष्ठान वाले और स्थानीय लोग ही इक्का दुक्का आ रहे हैं। गंगा की लाइफ लाइन नाव और गंगा पुत्र नाविक ही हैं। हालांकि, इस दौरान नौका विहार की अनुमति मिलने के बाद गंगा पुत्र कहे जाने वाले नाविकों में उत्साह का माहौल नजर आया। उन्हें लगता है जो तीन महीने उन्होंने जो दर्द झेला है उससे कुछ हद तक उन्हें मुक्ति मिलेगी।