बिहार में इस साल के आख़िर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. लेकिन नीतीश कुमार इस बार थर्मामीटर नहीं लगा सकते हैं. कोरोना वायरस ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ऊपर से लाखों की संख्या में अपने घर लौट रहे मज़दूर. नीतीश के लिए आगे पहाड़, पीछे खाई जैसी हालत है. करें तो आख़िर क्या करें. बहुत दिमाग़ लगाने के बाद अब उन्होंने एक फार्मूला ढूंढ निकाला है. बदले वक्त और हालात के हिसाब से उन्होंने थर्मामीटर लगाने का तरीका बदल लिया है. अब सब नई तकनीक से होगा. शुरूआत भी हो गई है. बीते रविवार को इसका ट्रायल भी हो गया. सबको नीतीश का ये आयडिया पसंद आया. अब जब तक हालात सामान्य नहीं होते. जेडीयू के नेता और कार्यकर्ता इसी फार्मूले पर चुनावी तैयारी करते रहेंगे. जनता से फीडबैक लेते रहेंगे. कहते हैं पब्लिक का मन पढ़ने में नीतीश कुमार माहिर हैं. तो एक बार फिर से उनके इस हुनर का टेस्ट होना है.
लॉकडाउन में आपस में मिलना जुलना बंद है. राजनैतिक गतिविधियां ठप्प पड़ी हैं. किसी तरह की मीटिंग करने पर रोक है. ऐसे में बीते रविवार को जेडीयू नेताओं ने एक साथ फेसबुक पर लाइव किया. वो भी एक ही समय पर. दोपहर ठीक बारह बजे. जेडीयू के सभी एमएलए और एमएलसी इस कार्यक्रम में शामिल हुए. पार्टी के सभी ज़िलाध्यक्ष भी फेसबुक लाइव से जुड़े रहे. इस कार्यक्रम का नाम दिया गया है संडे संवाद. अब हर इतवार को इसी तरह सभी नेता और कार्यकर्ता आपस में जुड़ेंगे. बूथ स्तर तक इस कार्यक्रम को ले जाना है. इसके बाद जनता को इससे जोड़ा जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी संवाद करेंगे और पब्लिक से फीडबैक लेंगे. कहा जा रहा है इसी आधार पर जेडीयू अपनी चुनावी रणनीति तैयार करेगी. उसमें ज़रूरत के हिसाब से बदलाव करेगी.
देश के कोने-कोने से बिहार के लोग अपने घर लौट रहे हैं. ये सब रोज़ी रोटी कमाने दूसरे राज्यों में चले गए थे. अब तक करीब 20 लाख लोग बिहार आ चुके हैं. पलायन करने वाले मज़दूरों के बहाने विपक्ष लगातार नीतीश कुमार की आलोचना कर रहा है. नीतीश भी जानते हैं ये मामला उनके गले की फांस बन सकता है. इसीलिए वे प्रवासी मज़दूरों से लगातार फीडबैक ले रहे हैं. उन्हें बिहार में ही काम धंधा देने की योजना बन रही है. ये काम आसान नहीं है. जेडीयू ने काम करने के तौर तरीके बदल लिए हैं. इस बार सोशल मीडिया को और मज़बूत करने का रोडमैप बन चुका है. चुनाव इन्हीं नए किस्म के हथियारों से लड़े जाएंगे.