लॉकडाउन में दम तोड़ता बनारसी पान कारोबार, अब तक हो चुका करोड़ों का नुकसान


अनिल केशरी 
वाराणसी, 

सात हफ्तों का वक्त बीत जाने के बाद बनारसी पान के कारोबार की ऐसी दुर्गत तस्वीर उभरकर सामने आ रही है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नही की थी. छूट को लेकर असमंजस के कारण अब तक करोड़ों रुपए का रुपये का नुकसान हो चुका है.


लॉकडाउन में दम तोड़ता बनारसी पान कारोबार, करोड़ों का नुकसान

  • छूट को लेकर असमंजस में बनारसी पान कारोबार
  • हर रोज हो रहा है 25-30 लाख रुपये का नुकसान

लॉकडाउन-3 की मियाद पूरी होने वाली है, लेकिन छूट को लेकर असमंजस बरकरार है. इसका असर कई कारोबार पर पड़ रहा है. इन्हीं में से एक है मशहूर बनारसी पान का कारोबार. सात हफ्तों का वक्त बीत जाने के बाद बनारसी पान के कारोबार की ऐसी दुर्गत तस्वीर उभरकर सामने आ रही है जिसकी किसी ने कल्पना भी नही की थी. अब तक करोड़ों रुपए के नुकसान को झेल चुका ये कारोबार अभी भी स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में असमंजस में है.

पान न केवल एक वनस्पति या खाघ सामग्री है, बल्कि एक संस्कार भी है. सनातनी परंपरा या शुभ कामों में पान के बगैर किसी भी काम के शुभारंभ की कल्पना भी नहीं की जा सकती है तो किसी भी मजहब वाले बनारसियों के लिए पान एक सत्कार का भी जरिया है. लॉकडाउन के 7 हफ्तों के बाद की स्थिति ये है कि देश के सभी कोनों और विदेश में भी पहुंच रखने वाला बनारसी पान अब वेंटिलेटर पर जा चुका है.

हर रोज 25-30 लाख रुपये का नुकसान

इस बारे में और जानकारी देते हुए पान कारोबारियों की 1952 से बनाई गए संगठन श्री बरई सभा काशी के महामंत्री अंजनि चौरसिया ने बताया कि देश के अलग-अलग हिस्सों से हरा पान का पत्ता वाराणसी के चेतगंज स्थित पानदरीबा मंडी में आता है. जहां हिटिंग प्रकिया से गुजारकर हरे पत्तों को सफेद किया जा ता है. लॉकडाउन की शुरूआत में ही हरे पान के डंप पड़े रहने की वजह से 20 करोड़ तक का नुकसान पहले ही हो चुका है और प्रतिदिन 25-30 लाख के टर्नओवर का कारोबार रुक जाने से अलग से चपत लग रही है.

25 हजार कारोबियों के सामने जीवकोपार्जन का संकट

हार्टिकल्चर में विशेष छूट के बावजूद पानदरीबा मंडी को बंद करना पान कारोबारियों की सोच के परे हैं. वहीं, पान कारोबारी दीपक चौरसिया ने बताया कि पान के होलसेल कारोबार से 20-25 हजार व्यापारी जुड़े हैं और फुटकर दुकानदारों की संख्या लाखों में हैं. पुराने रखे पान सड़ चुके हैं. लोगों का जीवकोपार्जन तक करना मुश्किल हो चुका है. जिला प्रशासन ने इसलिए रोक लगाया है कि पान को थूंकने से कोरोना फैल जायेगा, लेकिन पान में कई औषधीय गुण होते हैं.

स्थानीय स्तर पर रोक के कारण मंडी बंद

पान कारोबारी बबलू चौरसिया बताते हैं कि हरे पान को घरों पर ही प्रासेस करके हरे पान को बनारसी सफेद पान का स्वरूप दिया जाता रहा है, जो पुरी दुनिया में मशहूर है, लेकिन दो महीने से लॉकडाउन के चलते मजदूरों को बैठाकर तनख्वाह देना पड़ रहा है. ये विडंबना है कि सूबे में 21 पान दरिबाओं को खोलने की छूट मिली है, लेकिन स्थानीय स्तर पर रोक के चलते मंडी बंद है. एकल फुटकर की पान की दुकानों को खोलने की छूट है, लेकिन सप्लाई चेन वाली मंडियों के बंद होने से उनको भी मटेरियल कहां से मिलेगा?

सुनी पड़ी है जियापुर पान मंडी

बनारस के चेतगंज के जियापुर इलाके में सैकड़ों वर्षों की पुरानी परंपरा के तहत लगने वाली पान मंडी सुनी पड़ी हुई. मंडी में सैकड़ों डोलचियां या तो खाली पड़ी है या तो फिर उनमें पड़े पड़े पान सड़ चुके हैं. उसी मंडी के बाहर आजीविका के लिए पान बेचने के मजबूर एक छोटे पान विक्रेता विनोद ने बताया कि अभी उनकों पान बेचेने की इजाजत नहीं है, लेकिन जिवकोपार्जन के लिए पान मंडी के बाहर बेच रहें हैं.

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