लॉकडाउन 4.0 में कई शहरों में छूट दी गई है। रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में अलग-अलग छूट है। राज्य सरकार अपने स्तर से इन छूटों को तय कर रही है। वहीं प्रदेश सरकार की तरफ से जिला प्रशासन को इस बात की अनुमति दी गई है कि वो इसे तय करें।
प्रदेश सरकार ने जिलों में कोरोना वायरस के मरीजों की स्थिति का आकलन केन्द्र सरकार की लॉकडाउन 4.0 में रेड, ऑरेन्ज व ग्रीन जोन निर्धारित करने की गाइडलाइन को आधार बनाया है। प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार की इसी गाइडलाइन के आधार पर सभी जिलाधिकारियों को अपने हिसाब से जोन निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद ने आदेश जारी करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के आधार पर रेड, ऑरेन्ज व ग्रीन जोन निर्धारित करने छह मानक तय किए गए हैं।
उन जिलों को गंभीर श्रेणी (रेड जोन)में रखा जाएगा जहां
1. कुल एक्टिव केस 200 हों
2. एक्टिव केस प्रति लाख के हिसाब से 15 हों
3. 14 दिन में हर हफ्ते के हिसाब से वहां संक्रमित मामले दोगुने हो रहे हों
4. मृत्यु दर छह फीसदी या उससे ज्यादा हो।
5. प्रति लाख की आबादी पर केवल 65 लोगों की टेस्टिंग हो रही हो।
6. जांच के नमूने की रिपोर्ट छह फीसदी की दर से लोग संक्रमित हो रहे हों।
ऐसे गंभीर श्रेणी के जिले क्रिटिकल स्थिति से तभी हट सकते हैं जब वहां 21 दिन तक कोई केस न आए। संक्रमित मामले 28 दिन में दोगुने हों। मृत्यु दर केवल एक फीसदी रह जाए। एक लाख की आबादी पर 200 लोगों की टेस्टिंग होने लगे। संक्रमित केसों की तादाद केवल दो फीसदी रह जाए।
ग्रीन जोन :
यूपी के चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के आधार पर पिछले 21 दिनों में कोरोना वायरस संक्रमण का कोई मामला न पाया जाए तो वह स्वयं ही ग्रीन जोन में आ जाएगा।
ऑरेंज जोन :
जो जिले रेड और ग्रीन जोन की स्थितियों में न हों, वह ऑरेन्ज जोन में होंगे। चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि रेड जोन में वर्गीकृत किए गए जिलों के डीएम संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए अपने जिलों में अतिरिक्त कदम उठाने के लिए अधिकृत होंगे।