देश में जारी लॉकडाउन इस महीने के अंत के बाद नहीं बढ़ाया जाता है, तो देश में कोरोना मामलों की संख्या जुलाई मध्य में चरम पर पहुंच सकती है। स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञ प्रोफेसर गिरिधर बाबू ने यह दावा किया। हालांकि यह भी कहा कि दो महीने तक कंटेनमेंट जैसे उपायों के कारण लॉकडाउन हटाने के बावजूद कोरोना मामलों में अपेक्षाकृत कम संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रोफेसर गिरिधर आर बाबू ने यह दावा किया है। प्रोफेसर ने कहा- यदि 30 मई को लॉकडाउन को हटा लिया जाता है तो तीन इनक्यूबेशन अवधि यानी जुलाई मध्य तक कोरोना मामले अपने चरम पर पहुंच जाएंगे, फिर लोगों को पता चलेगा कि यह बगैर नियंत्रण के यह बीमारी किस तरह फैलती है।
मंत्रालय ने कहा कि मृत्यु के मामलों के विश्लेषण से पता चलता है कि संक्रमण से मरने वालों में 64 प्रतिशत पुरुष और 36 प्रतिशत महिलाएं हैं। मृतकों को आयु के आधार पर बांटते हुए मंत्रालय ने बताया कि मौत के 0.5 प्रतिशत मामले 15 साल से कम आयु के बच्चों के हैं, 2.5 प्रतिशत मामले 15 से 30 साल की उम्र के बीच के, 11.4 प्रतिशत मामले 30 से 45 साल के बीच के, 35.1 प्रतिशत मामले 45-60 आयुवर्ग के और 50.5 प्रतिशत मामले 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के हैं।
मंत्रालय ने बताया कि मौत के 73 प्रतिशत मामलों में अन्य गंभीर बीमारियां भी साथ थीं। 60 साल से अधिक उम्र के लोगों और अन्य बीमारियां वालों को कोविड-19 के लिहाज से उच्च जोखिम वाले समूह में रखा गया है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ''संक्रमण के मामलों में भारत में मृत्युदर 3.06 प्रतिशत है, जो वैश्विक मृत्युदर 6.65 प्रतिशत की तुलना में बहुत कम है। यह समय पर मामलों का पता लगाने और उनके उचित क्लीनिकल प्रबंधन की दिशा में हमारे प्रयासों को दर्शाता है।"