prayagraj : मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने मरीजों की जूतों से पिटाई का वीडियो वायरल

 • KESHARI NEWS24,Fri15 May 2020•
Prayagraj srn hospital Video Viral doctors beats patient with shoes read inside story

प्रयागराज, ए.पी केसरवानी रिपोर्ट । संगम नगरी प्रयागराज से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा एक वीडियो इन दिनों चर्चा का सबब बना हुआ है. वायरल वीडियो के जरिये यह दावा किया जा रहा है प्रयागराज के एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टर्स ने कोरोना संदिग्ध मरीज की जूतों से पिटाई की है. वायरल वीडियो में कुछ लोग बेड पर लेटे एक शख्स पर जूतों की बारिश करते दिखाई दे रहे हैं. खास बात यह है कि वायरल वीडियो में एक पुलिस वाला भी नजर आ रहा है. इसी आधार पर यह दावा किया जा रहा है कि डॉक्टर्स ने पुलिस की मौजूदगी में कोरोना संदिग्ध की जूते से पिटाई की है. वायरल वीडियो के साथ यह भी दावा किया जा रहा है कि यह मामला प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज द्वारा संचालित स्वरूपरानी नेहरू हॉस्पिटल के ट्रामा सेंटर का है.


वीडियो सोशल मीडिया पर इतना वायरल हुआ कि प्रयागराज पुलिस को इसका खंडन भी जारी करना पड़ा. हालांकि, पुलिस के खंडन ने मामले को और उलझा दिया. पुलिस ने सिर्फ यह सफाई दी कि वायरल वीडियो में कोरोना संदिग्ध की पिटाई का जो दावा किया जा रहा है, वह गलत है. किसी भी कोरोना संदिग्ध की पिटाई का कोई मामला नहीं हुआ है.


पुलिस ने अपने खंडन में मरीज के कोरोना संदिग्ध नहीं होने भर का दावा किया. उसने किसी भी मरीज की पिटाई नहीं किये जाने, एसआरएन हॉस्पिटल में जूते नहीं चलने और वायरल वीडियो को गलत नहीं बताया।. मतलब साफ था कि वायरल वीडियो सच है. वीडियो स्वरूपरानी नेहरू हॉस्पिटल का ही है. डॉक्टर द्वारा एक मरीज पर जूतों की बारिश किये जाने की बात भी सच है. गलत है तो सिर्फ इतना कि जिस मरीज पर जूते बरसाए जा रहे हैं, वह कोरोना संदिग्ध नहीं है.



बहरहाल, वायरल वीडियो की पड़ताल करने पर पता चला कि जहां वारदात होने का दावा किया जा रहा है, वहां कुछ कर्मचारियों और दूसरे मरीजों के साथ आए उनके तीमारदारों ने इस तरह की घटना की तस्दीक की. लोग डर की वजह से सामने आने को तो तैयार नहीं हुए, लेकिन इन्होंने जानकारी दी कि वीडियो 12 मई की रात का है.


पड़ताल से यह भी साफ हुआ कि 12 मई को प्रयागराज में आयुष शुक्ला नाम के एक शख्स ने प्रेमिका से विवाद होने के बाद अपने हाथ की नसें काट लीं थीं, इसके बाद उसके कुछ दोस्त इलाज के लिए स्वरूपरानी नेहरू हॉस्पिटल के ट्रामा सेंटर ले आए. दावा यह किया जा रहा है कि आयुष और उसके साथ के लोग शराब के नशे में थे. नशे की वजह से वह हॉस्पिटल में हंगामा और शोर शराबा कर रहे थे.


अस्पताल के स्टाफ ने जब उन्हें शांत होने की हिदायत दी तो उन्होंने कुछ और बाहरी लोगों को बुलाकर मारपीट शुरू कर दी. इस बीच अस्पताल के लोगों ने पुलिस बुला ली. तफ्तीश से सामने आई जानकारी के मुताबिक पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर एक युवक को गिरफ्तार भी कर लिया था. पुलिस आने पर जूनियर डॉक्टर्स ने भी हॉस्टल्स से अपने कुछ साथियों को बुला लिया था. इन्हीं में से एक ने आयुष शुक्ला पर जूते बरसाए थे.



इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील और सोशल एक्टिविस्ट सुनील चौधरी ने मामले की शिकायत इलाहाबाद हाईकोर्ट से कर दी है. सुनील चौधरी का कहना है कि उन्होंने अपने स्तर से इस बात की पड़ताल कर ली है कि वायरल वीडियो एसआरएन हॉस्पिटल के ट्रामा सेंटर का ही है. खुद संतुष्ट होने के बाद ही उन्होंने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को शिकायती चिट्ठी भेजी है. उनके मुताबिक इस वीडियो से कोरोना वॉरियर्स करार दिए गए डॉक्टर्स की छवि धूमिल हुई है और कोरोना काल में अब लोग डॉक्टर्स के पास जाने से कतराएंगे.

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