ज्येष्ठ के स्नान पूर्णिमा से अगले एक पखवाड़े तक महाप्रभु भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ एकांतवास में चले गए हैं। रामगढ़ के प्रसिद्ध श्री श्री जगन्नाथ मंदिर में शुक्रवार को ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर महाप्रभु भगवान जगन्नाथ, उनके दाऊ (बड़े भाई) बलराम और बहन सुभद्रा की प्रतिमाओं का स्नान कर साधारण वस्त्रों के साथ श्रृंगार किया गया। घंटा घड़यिाल और शंख ध्वनि एवं वैदिक मंत्रों के साथ उनकी पूजा अर्चना की गयी। महाप्रभु एवं उनके भाई-बहनों को दशहरी आम, भूजा सहित अन्य ऋतु फलों का भोग लगाया गया। इस दौरान शारीरिक दूरियों सहित लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए श्रद्धालुओं ने फेसमास्क का भी प्रयोग किया।
मंदिर के पुरोहित नारायण उर्फ बिट्टू पंडा ने बताया कि श्रीमदभागवत के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को भगवान अपने भाई और बहन के साथ बरसात में भीग जाते हैं, जिसके कारण उन्हें ज्वर हो जाता है। इसलिए वे अपने भाई और बहन के साथ 15 दिनों के लिए एकांतवास को चले जाते है। इन 15 दिनों में भोग की जगह केवल तुलसी दल (पत्ता) और मधु औषधि के तौर पर दिया जाता है। 15 दिनों के उपचार के बाद आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष के प्रथम तिथि को पुन: उन्हें स्नानादि करा कर तथा नेत्तरोछव अनुष्ठान आदि के बाद उनका नवयौवन श्रृंगार करके उनके मनपसंद फलों और व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। आषाढ़ द्वितीय तिथि को भगवान की मौसी मां दुर्गा के घर से उनके स्वास्थ्य लाभ का बुलावा आने कर बाद यात्रा शुरु होती है।