लखनऊ , कोई और वक्त होता तो विधानसभा उपचुनाव की सरगर्मी शुरू हो चुकी होती। सियासी दल इसे ही नहीं पंचायत चुनाव और मिशन 2022 को लेकर भी अपने अपने दलों को सक्रिय कर ऊर्जा भर रहे होते। पर यह कोरोना काल है। अनलॉक के बीच रोकथाम के बावजूद खतरा टला नहीं है। ऐसे में पांच सीटों पर उपचुनाव आगे खिंचने के आसार हैं। मामला ज्यादा लंबा भी खिंच सकता है। और यह भी हो सकता है कि इसकी नौबत ही न आए और सीधे विधानसभा 2022 का चुनाव आ जाए।
वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधानसभा की पांच सीटें खाली हैं। हाल ही में सपा विधायक पारसनाथ यादव की मृत्यु होने से जौनपुर की मल्हनी सीट खाली हुई है। इससे पहले भाजपा विधायक विरेंद्र सिंह सिरोही दिवंगत हो गए। उनकी बुलंदशहर सीट पर भी उपचुनाव होना है। कुलदीप सेंगर को आजीवन सजा होने के कारण उनकी सदस्यता निरस्त हो गई और उनकी उन्नाव की बांगरमऊ सीट भी रिक्त हो गई। सपा नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां का स्वार से निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया। इस तरह स्वार भी उपचुनाव के इंतजार में है। इससे पहले एसपी बघेल ने टूंडला विधानसभा से 4 जून 2019 को इस्तीफा दिया। इस तरह टूंडला भी काफी समय से खाली है।
विधानसभा का मॉनसून सत्र
कोरोना संकट के चलते विधानसभा सत्र कैसे संभव होगा? यह भी बड़ा सवाल है। हालांकि इसको लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने लोकसभा स्पीकर के साथ विकल्पों पर चर्चा की है। वैसे पिछले सत्र से छह महीने के भीतर दूसरा सत्र बुलाया जाना चाहिए। इस साल विधानसभा का पहला सत्र 13 फरवरी से 28 फरवरी तक चला था।
इस लिहाज से अगस्त तक सत्र बुलाना जरूरी होगा। पर सरकार के सामने बजट का पहला अनुपूरक लाने की चुनौती भी है। मुख्यमंत्री की कई नई घोषणाओं व योजनाओं की पूर्ति के लिए पैसे की जरूरत है।
इसमें गंगा एक्सप्रेस-वे , पूर्वांचल एक्सप्रेस वे जैसी परियोजनाएं तो हैं ही साथ ही कोविड-19 की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार के काफी संसाधन खर्च हुए हैं। इसके अलावा नए बने रोजगार आयोग व इंवेस्ट यूपी के काम के लिए रकम की जरूरत होगी। स्वास्थ्य विभाग की जरूरतों के लिए बड़ी रकम का बजटीय प्रावधान जरूरी होगा।