दिल्ली के दयालपुर इलाके में हुए दंगों के एक आरोपी ने अदालत में जमानत याचिका दाखिल कर जमानत देने की मांग की। इस आरोपी का कहना था कि उसके खिलाफ दंगों से संबंधित जो मामला दर्ज किया गया है, उस मामले में दिल्ली पुलिस ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। इसलिए उसे जमानत पर रिहा कर दिया जाना चाहिए। अदालत ने आरोपी की दलील खारिज कर दी।
कड़कड़डूमा स्थित ड्यूटी न्यायाधीश ने आरोपी की याचिका को नामंजूर करते हुए कहा कि दिल्ली में भड़के दंगों का दायरा इतना बड़ा है कि एक आरोपी किसी एक मामले में आरोपी नहीं है, बल्कि एक ही आरोपी दर्जनों मामलों में आरोपी है। ऐसे में एक आरोपपत्र दाखिल होने से जमानत का आधार नहीं बनता। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस आरोपपत्र मे लगातार कहती आ रही है कि फरवरी महीने में हुए ये दंगे एक गहरी साजिश का हिस्सा थे। इन दंगों के माध्यम से देश की छवि को खराब करने का प्रयास किया गया।
निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन फिर कटघरे में
अजय गोस्वामी हत्या प्रयास के मामले में पुलिस ने आप से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन को कटघरे में खड़ा किया है। एक आरोपी गुलफाम के इकबालिया बयान का हवाला देते हुए कहा है कि जनवरी 2020 से वह सीएए के विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रहा था। आरोपपत्र के मुताबिक आरोपी गुलफाम को ताहिर हुसैन ने बड़े दंगे के लिए तैयार रहने को कहा था। हथियार खरीदने के लिए 15 हजार रुपये भी दिए थे। दंगों में उसने 200 राउंड गोलिया चलाई थीं।
तीन और मामलों में चार्जशीट दाखिल
पुलिस ने दंगों से संबंधित तीन और मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए। इनमें सप्तर्षि बिल्डिंग पर युवक की गोली लगने से मौत का मामला शामिल है। इस मामले में छह लोगों को आरोपी बनाया गया है। इसके अलावा मुर्शरफ अली हत्याकांड में भी आरोपपत्र दाखिल किया गया है। इस मामले में भी छह लोगों को आरोपी बनाया है। तीसरा मामला अजय गोस्वामी की हत्या के प्रयास का है।
1100 पन्नों का आरोपपत्र पुलिस ने पेश किया
हेड कांस्टेबल रतनलाल की हत्या और दंगों के संबंध में दिल्ली पुलिस ने 1100 पन्नों में अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया है। इस आरोपपत्र में 17 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इस मामले में बाकायदा न्यायिक जांच के बाद 164 लोगों को गवाह बनाया गया है, जिनमें अधिकांश चश्मदीद हैं। उन्होंने न्यायिक जांच समिति के समक्ष इन दंगों को सांप्रदायिक दंगों की गहरी साजिश करार दिया है।