पुरी (उड़ीसा) में 1 जुलाई को खत्म हुई रथयात्रा के बाद अब भगवान जगन्नाथ आज शनिवार को मुख्य मंदिर में आएंगे। गुंडिचा मंदिर से लौटने के बाद से ही भगवान अभी तक मंदिर के बाहर ही रथ पर ही विराजित थे। शनिवार शाम 5 बजे उन्हें रथ से उतारकर मंदिर में लाया जाएगा। इसके बाद तीनों रथों को तोड़ दिया जाएगा। इनकी लकड़ियों को भगवान की रसोई में सालभर तक ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
रथयात्रा लौटने के बाद भी तीन दिन भगवान को मंदिर के बाहर ही रखा जाता है। यहां कई तरह की परंपराएं होती है। शनिवार शाम को भगवान को रथ से उतारकर मंदिर के भीतर रत्न सिंहासन तक लाया जाएगा। यहां भगवान जगन्नाथ और लक्ष्मी के विवाह की परंपराएं पूरी होंगी। इसके बाद फिर भगवान को गर्भगृह में स्थापित कर दिया जाएगा।
रथयात्रा मुख्य मंदिर में लौटने के बाद से यहां कर्फ्यू जैसी स्थिति थी। वैसे तो परंपरा ये है कि भगवान तीन दिन मंदिर के बाहर रहकर अलग-अलग रूपों में जनता को दर्शन देते हैं, लेकिन इस साल लॉकडाउन के कारण बिना भक्तों के सारी परंपराएं सिर्फ मंदिर समिति के सदस्यों और पुजारियों की उपस्थिति में हुईं। शनिवार को रथयात्रा की अंतिम परंपराएं पूरी की जाएंगी, इसमें भी बाहरी लोगों का प्रवेश नहीं हो सकेगा।
रथ को जब खोला जाता है तो कुछ चीजें जैसे सारथी, घोड़े और कुछ प्रतिमाएं सुरक्षित रखी जाएंगी। रथ के कुछ हिस्से कारीगर अपने साथ ले जाएंगे। इसे वे अपना मेहनताना और भगवान का आशीर्वाद मानते हैं। कुछ लोग हवन के लिए भी रथों की लकड़ियां ले जाते हैं। इस तरह शनिवार को रथयात्रा का समापन हो जाएगा।