सीएम योगी के अभेद्य किले में सेंध लगाने के लिए जोर आजमाइश, त्रिकोणीय हुई रवि किशन, काजल निषाद, सिमनानी की लड़ाई...

Gorakhpur Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जिन चुनिंदा सीटों पर देश की निगाहें टिकी हैं, गोरखपुर उनमें से एक है। इस बार के चुनाव में योगी के अभेद्य किले में सेंध लगाने के लिए जोर आजमाइश जोरों पर है।इस सीट पर सातवें चरण में एक जून को मतदान होना है। 

मुकाबला हुआ त्रिकोणीय 

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीट से पांच बार सांसद रहे हैं। 2018 के उपचुनाव को छोड़कर गोरक्षपीठ के सहारे 1989 से इस सीट पर भाजपा का परचम रहा है। 2019 में जीतने वाले रवीन्द्र श्यामनारायण उर्फ रवि किशन शुक्ल पर भाजपा ने अपने गढ़ में लगातार दूसरी बार भरोसा जताया है। उनका सीधा मुकाबला सपा की काजल निषाद से है। बसपा ने जावेद सिमनानी को उतार मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है।

विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा

गोरखपुर में भाजपा की किलेबंदी 2022 के विधानसभा चुनाव में अभेद्य रही थी। तब गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया था। गोरखपुर सदर सीट से खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और एक लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी। इस चुनाव में मुख्यमंत्री योगी ने बड़ी जीत का लक्ष्य निर्धारित किया है।

काजल निषाद पर दारोमदार 

इंडिया गठबंधन से सपा उम्मीदवार काजल निषाद भाजपा को चुनौती दे रही हैं। काजल भी अभिनय क्षेत्र से आती हैं। गोरखपुर के वोटरों से उनका पुराना रिश्ता है। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर कैम्पियरगंज से चुनाव लड़ी हैं। सपा से महापौर के चुनाव में हार चुकी हैं।

हर पार्टी के अपने दावे 

सपा के रणनीतिकार परंपरागत मुस्लिम, यादव वोटों के साथ पिछड़ी जाति के वोटों के भरोसे हैं। वहीं भाजपा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे और सीट पर बीते पांच वर्षों में10 हजार करोड़ के विकास कार्यों के सहारे है।

35 साल से लहरा रहा भगवा 

वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली थी। इसके बाद 2018 में उपचुनाव में सपा के प्रवीण निषाद ने भाजपा के उपेन्द्र दत्त शुक्ल को रोमांचक मुकाबले में हरा दिया था। उस चुनाव को छोड़कर 1989 से अब तक सीट पर भगवा लहरा रहा है। योगी आदित्यनाथ 1998 से लगातार 19 सालों तक यहां से सांसद रहे। 1962 के आम चुनाव में तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ हिन्दू महासभा के टिकट पर मैदान में उतरे, पर हार गए।

सपा को करिश्मे की आस

सपा उम्मीदवार काजल निषाद क्षेत्र में प्रभावी निषाद वोटों पर दावेदारी कर रही हैं। 35 साल में सपा को सिर्फ गोरखपुर सीट पर 2018 के उपचुनाव में कामयाबी मिली थी। उस चुनाव में भाजपा ने उपेन्द्र दत्त शुक्ल को मैदान में उतारा था, जिन्हें सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद (वर्तमान में संतकबीरनगर से भाजपा के सांसद और प्रत्याशी) ने हराया था। सपा को काजल से इसी करिश्मे की उम्मीद है।

भाजपा चाहती है बड़ी जीत

वर्ष 2014 के आम चुनाव में जौनपुर सीट पर कांग्रेस के टिकट पर करारी हार झेलने वाले रवि किशन ने 2018 में भाजपा का आए थे। 2019 के चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आशीर्वाद ले पहली बार गोरखपुर सीट से उतरे रवि किशन ने सपा के राम भुआल निषाद को तीन लाख से अधिक वोटों से हराया था। भाजपा जीत को दोहराने बल्कि इसके अंतर को पांच लाख वोटों के पार ले जाने के दावा कर रही है।

बसपा ने सियासी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाया

गोरखपुर सीट पर बसपा अपने उम्मीदवार जावेद सिमनानी के जरिए चुनावी मैदान में उतरी है। जावेद बसपा से लम्बे समय से जुड़े हैं और विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। छात्र जीवन से राजनीति में आए जावेद सिमनानी वार्ड नंबर 68 मुफ्तीपुर से सपा के जियाउल इस्लाम के खिलाफ पार्षद का चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार मिली थी।

सीट की खासियत 

गोरखपुर लोकसभा सीट गोरक्षपीठ की परम्परागत सीट रही है। गोरखनाथ मंदिर नाथ संप्रदाय का अहम केंद्र है। धार्मिक पुस्तकों के तीर्थ गीता प्रेस, गीता वाटिका से भी गोरखपुर की पहचान है। मुंशी प्रेमचंद और फिराक गोरखपुरी जैसे साहित्यकारों की कर्मभूमि और पंडित रामप्रसाद बिस्मिल का शहादत स्थल है। शहर के बीचोंबीच 1800 एकड़ में फैली रामगढ़ झील पिछले कुछ वर्षों में क्रूज, फ्लोटिंग रेस्टोरेंट, वाटर स्पोर्ट्स को लेकर आकर्षण का केंद्र है। गोरखपुर को पड़ोसी देश नेपाल का गेट-वे भी कहते हैं।

कब-कौन जीता

1952 सिंहासन सिंह कांग्रेस

1957 सिंहासन सिंह कांग्रेस

1962 सिंहासन सिंह कांग्रेस

1967 महंत दिग्विजयनाथ निर्दलीय

1970 महंत अवेद्यनाथ निर्दलीय

1971 नरसिंह नारायण कांग्रेस

1977 हरिकेश बहादुर भारतीय लोक दल

1980 हरिकेश बहादुर कांग्रेस

1984 मदन पांडेय कांग्रेस

1989 महंत अवेद्यनाथ हिन्दू महासभा

1991 महंत अवेद्यनाथ भाजपा

1996 महन्त अवेद्यनाथ भाजपा

1998 योगी आदित्यनाथ भाजपा

1999 योगी आदित्यनाथ भाजपा

2004 योगी आदित्यनाथ भाजपा

2009 योगी आदित्यनाथ भाजपा

2014 योगी आदित्यनाथ भाजपा

2018 प्रवीण कुमार निषाद सपा (उपचुनाव)

2019 रवि किशन भाजपा

पिछले दो चुनावों के नतीजे 

2019

रवि किशन शुक्ल भाजपा 7,17122 60.52%

रामभुआल निषाद सपा 4,15,458 35.06%

2014

योगी आदित्यनाथ भाजपा 5,39,127 51.83%
राजमति निषाद सपा 2,26,344 21.76% ।

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