बौद्धिक संपदा अधिकार का दर्जा मिलने के बाद टेराकोटा शिल्पियों को अच्छे कारोबार की उम्मीद

 गोरखपुर संवाददाता रमाकांत यादव की रिपोर्ट • KESHARI NEWS24• Thu, 14 May 2020 03:24 PM

गोरखपुर के टेरोकोटा को जीआइ (जियोग्रॉफिकल इंडिकेशन) टैग मिलने के साथ ही 'बौद्धिक संपदा अधिकार’ का दर्जा मिल गया है। कानूनी रूप से नई वैश्विक पहचान पा चुके टेराकोटा और उसके हस्तशिल्पियों को बेहतर कारोबार की उम्मीद है, वहीं लॉकडाउन के बीच सरकार भी एक जिला एक उत्पाद योजना के अंतर्गत जीआई प्रोडेक्ट की वैश्विक मार्केटिंग के लिए रणनीति बना रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने की घोषणा के बाद एक जिला एक उत्पाद से जुड़े हस्तशिल्पियों को खासी उम्मीदें हैं। जिला उद्योग केंद्र के सहाायक आयुक्त उद्योग प्रशांत यादव बताते हैं कि गुलरिहा क्षेत्र में 12 संस्थाओं के अंतर्गत करीब 250 लोग टेराकोटा कला से जुड़े हैं। इसके अलावा औरंगाबाद, जंगल एकला, भरवलिया, पादरी बाजार समेत अन्य गांव के लोग इस कला के अंतर्गत कलाकृतियों का निर्माण खास लाल मिट्टी से करते हैं। जनवरी 2018 में एक जिला, एक उत्पाद में शामिल होने के बाद से हर साल करीब 40 लाख रुपये का कारोबार होता है। अब तक करीब एक करोड़ रुपये से ऊपर का कारोबार हो चुका है।  

इस प्राचीन कला को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप पर 24 नवरी 2018 को 'एक जिला, एक उत्पाद की सूची में शामिल किया गया। सितम्बर 2018 में नाबार्ड के सहयोग से जीआइ टैग प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस मई माह में जीआई टैग हासिल हुआ। पूर्वांचल के 13 जिलों के 13 उत्पाद को यह टैग मिला चुका है। इनमें कालानमक चावल, बनारसी साड़ी, मेटल क्रॉफ्ट, गुलाबी मीनाकरी, स्टोन शल्पि, चुनार बलुआ पत्थर, ग्लास बीड्स, भदोही कालीन, मर्जिापुर दरी, गाजीपुर वाल हैंगिंग, निजामाबाद आजमगढ़ की ब्लैक पाटरी आदि शामिल हैं। कोरोना सकंट के कारण प्रवासी मजदूरों की गोरखपुर समेत पूर्वांचल के सभी जिलों में घरवापसी हुई है। ऐसे में सरकार की कोशिश है एक जिला एक उत्पाद योजना से इन प्रवासी मजदूरों को प्रशिक्षित कर जोड़ा जाए।

बर्किंघम पैलेस तक पहुंचा टेराकोटा
गोरखपुर का टेराकोटा का डंका ब्रिटेन के बर्किंघम पैलेस तक रहा है। लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के गुलाब चंद प्रजापति कहते हैं कि उनके बाबा स्वर्गीय विजय प्रजापति खजनी के रक्सिानारा से औरंगाबाद आए थे। 1982 में वह बोरे में यहां की मिट्टी ले जाकर ब्रिटेन के बर्किंघम पैलेस में हुनर दिखाया था। 1986 में आस्ट्रेलिया, 1987 में हॉलैंड में कला का प्रदर्शन किया। 1995 के टेराकोटा गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुआ था। टेराकोटा उत्पाद में रासायनिक रंग नहीं बल्कि खास मिट्टी का इस्तेमाल होता है। 

सीएम से टेराकोटा और ओडीओपी के विकास की उम्मीद
टेराकोटा शिल्पी लक्ष्मी प्रजापति, गुलाब चंद प्रजापति, सोहन लाल प्रजापति, राजन प्रजापति कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब सिर्फ सांसद थे तब भी उन्होंने टेराकोटा के विकास के लिए काफी प्रयास किया। मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से वे इसे निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं। ओडीओपी क्रेडिट सहायता योजना एवं ओडीओपी टूल किट योजना से भी टेराकोटा हस्तशिल्पियों को काफी लाभ मिला है।

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