• KESHARI NEWS24, Thu21,May 2020 4:35 AM•
गाजियाबाद से गोरखपुर के लिए पति और आठ महीने की बच्ची के साथ चली महिला ने रास्ते में दम तोड़ दिया। महिला के शरीर में खून नाम मात्र का ही बचा था। उसके बाद भी वह पैदल चल रही थी। पहले मेरठ में तबीयत बिगड़ी तो पति ने अपना दो यूनिट खून चढ़वाया। दो दिन इलाज के बाद वहां से फिर पैदल चले। अलीगढ़ में उन्हें गोरखपुर तक के लिए रोडवेज की बस मिल गई लेकिन बस में सवार होने के बाद सोई महिला फिर कभी नहीं उठी।
गोरखपुर के शाहपुर आवास विकास कालोनी निवासी कुंवर बांसफोड़ के पिता कन्हैया गाजियाबाद आवास विकास परिषद में चतुर्थश्रेणी कर्मचारी थे। ड्यूटी के दौरान ही छह महीने पहले उनकी मौत हो गई। अपने पिता की जगह मृतक आश्रित कोटे में नौकरी के लिए कुंवर गाजियाबाद पहुंच था। बार-बार चक्कर लगाने से बचने के लिए पत्नी रीना और आठ महीने की बेटी को भी साथ ले गया था। गाजियाबाद आवास विकास परिषद के सामने ही झुग्गी डालकर वहीं रहने लगा था। वह रोज नौकरी की पैरवी के लिए दौड़-भाग करता था।
उसे नौकरी मिलती उसकी फाइल आगे बढ़ती इस बीच कोरोना की महामारी आ गई और इसके चलते पूरे देश में लॉकडाउन हो गया। यह दम्पत्ति खाने-पीने के लिए मोहताज हो गया। पत्नी रीना ने पिछले दिनों का कहा कि अब घर लौट चलते हैं। बच्ची को लेकर दोनों पैदल ही मेरठ पहुंचे वहां रीना की तबीय बिगड़ गई। डॉक्टर ने चेकअप किया बताया कि रीना के शरीर में खून की कमी है। कुंवर ने जान बचाने के लिए उसे अपना खून दिया। रीना को दो बोतल खून चढ़या गया और दो दिन वहां रूकने के बाद उन्होंने फिर पैदल यात्रा शुरू कर दी।
वहां से वह अलीगढ़ पहुंचा, यहां सरकारी बस मिली और उन्हें बैठा लिया। कुंवर ने बताया कि पत्नी खाना खाकर बस में सोई और उसके बाद कभी नहीं उठी। पत्नी की लाश लेकर आठ साल की बेटी के साथ कुंवर अपने घर पहुंचा तो मोहल्ले में को दशहत फैल गई। लोगों ने स्थानीय पार्षद चन्द्रशेखर सिंह को सूचना दी। उन्होंने पुलिस और लेखपाल के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम को जानकारी दी,कुछ देर में पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंच कर जांच पड़ताल कर रही है।