क्वारंटाइन में समय का सदुपयोग कर प्रकृति से रिश्ता जोड़ रहे गोरखपुर के सहजनवा कस्बे के नेवास ग्राम के निवासी


क्वारंटाइन तनहाई, ऐसे में सबसे मुश्किल होता है समय का सदुपयोग। ऐसा न होने पर संबंधित व्यक्ति डिप्रेशन में भी जा सकता है। कई शोध में यह बात निकलकर सामने आई है कि समय के सदुपयोग का सबसे प्रभावी तरीका है, प्रकृति से रिश्ता जोड़ना।
 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद से लगे सहजनवा कस्बे के ग्राम नेवास में क्वारंटाइन किए गए लोग पौधों की देखरेख  कर रहे हैं। इससे उनका समय भी कट रहा है। स्वाभाविक है कि इसके जरिए उनकी क्वारंटाइन की यादें भी सदा के लिए ताजा रहेंगी।
सहजनवा क्षेत्र के पाली ब्लॉक ग्रामसभा नेवास के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में क्वारंटाइन किए गए 33 लोग पयार्वरण को बचाने और उन्हें हरा-भरा करने में जुटे हैं। विद्यालय परिसर में लगे मुरझा रहे पौधों में जान डालने का काम यह लोग कर रहे हैं। उन्होंने सुबह-शाम परिसर के पौधों को पानी देकर उन्हें हरा-भरा कर दिया है।
प्रधान प्रतिनिधि रामेन्द्र उर्फ छोटकू तिवारी ने कहा, “हमारे ग्रामसभा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में 33 लोगों को क्वारंटाइन कराया गया है। यह दिल्ली, जयपुर अन्य शहरों में दिहाड़ी का काम करते हैं। हमारे बगल के गांव और अन्य जगह क्वारंटाइन से भागने की बातें सामने आ रही है। ऐसे में यह लोग भी पहले कुछ ऐसा सोच रहे थे, लेकिन बाद में इन्हें थोड़ा जागरूक किया गया। इनका मन लगाने के लिए पयार्वरण संरक्षण की ओर ध्यान अकर्षित करवाया गया। अब यह भागने के बजाय सुबह शाम पौधों को पानी देकर उनमें हरियाली लाने का काम कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “इस काम में भोला, सुग्रीव, रामबेलास, रिंकू समेत अनेक लोग आगे आए हैं। इन सभी ने अपने हिसाब से दो-दो पौधों को गोद ले लिया है। उसकी देखभाल कर रहे हैं। यह सारे काम यह सामजिक दूरी को बनाते हुए कर रहे हैं। पौधों की मेड़ बनाकर पानी डालना हो। घास की सफाई हो सभी में सोशल डिस्टेंसिग का पालन हो रहा है। इनका हौसला बढ़ाने के लिए बीडीओ और एसडीएम स्वयं आकर इनकी तारीफ कर चुक हैं।” प्रधान प्रतिनिधि ने कहा, “इन लोगों ने संकल्प लिया है कि जब तक इनके क्वारंटाइन के दिन पूरे नहीं हो जाते तब तक यह लोग यहीं रहेंगे और पौधों की सेवा करेंगे। इसके अलावा घर पहुंचने पर भी स्वास्थ्य विभाग की गाइड लाइन के अनुसार ही काम करेंगे।”

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