भारत-चीन सीमा विवाद पर लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत में भारत ने दो टूक कहा है कि अप्रैल 2020 की स्थिति सीमा पर कायम हो। वार्ता के दौरान भारत ने चीनी सेना से पीछे हटने को कहा है। वहीं, सीमा पर सड़क निर्माण रोकने की चीन की मांग को भी भारत ने खारिज कर दिया है। भारतीय पक्ष की ओर से बातचीत का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया।
आगे बातचीत का रास्ता खुला
चीन की सीमा के अंतर्गत मोलडो चुशुल में हुई बातचीत करीब साढ़े पांच घंटे चली। इसमें कोई नतीजा तो नहीं निकला, लेकिन दोनों पक्षों ने अपनी मांग एक दूसरे के सामने रखी है। सूत्रों के मुताबिक बातचीत सकारात्मक माहौल में खत्म हुई है। इससे आगे बातचीत का रास्ता खुला हुआ है।
मांगों से अवगत कराया
माना जा रहा है कि भारत ने पैंगोंग, गलवान घाटी से चीनी सेनाओं और उनके द्वारा बनाए गए कैंप को हटाने की मांग की है। भारत चाहता है कि अप्रैल 2020 की स्थिति सीमा पर लागू हो। खासतौर पर पैंगोंग इलाके में चीनी सेना की मौजूदगी को लेकर भारत की आपत्ति है। भारत चाहता है कि फिंगर- 4 में मौजूद चीनी सेना पीछे हटे, जबकि चीन ने भारत से सीमा पर सड़क निर्माण रोकने को कहा है।
अब सबकी निगाहें एक बार फिर कूटनीतिक कवायद पर टिक गई हैं। ये भी कहा जा रहा है कि सैन्य व राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी रहेगी। दोनों देशों के बीच विवाद के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत को समाधान की एक बड़ी कोशिश के रूप में देखा जा रहा था। सूत्रों का कहना है बातचीत जारी रहना तनाव कम होने का संकेत है, लेकिन समस्या के समाधान में वक्त लग सकता है। फिलहाल चीन और भारत की सेनाएं आमने सामने डटी हुई हैं।
कई दौर की हो चुकी है बात
लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत के पहले दोनों पक्षों में 12 राउंड स्थानीय कमांडर स्तर पर और तीन बार मेजर जनरल स्तर पर बातचीत हो चुकी है। कूटनीतिक स्तर पर भी बातचीत जारी है। शुक्रवार (5 जून) को संयुक्त सचिव स्तर की बातचीत में दोनों पक्षों ने मतभेद को विवाद में तब्दील न होने देने पर सहमति जताई थी।
भारतीय पक्ष की ओर से बातचीत का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह कर रहे थे। चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत सैन्य डिस्ट्रिक्ट के कमांडर कर रहे थे। लेफ्टिनेंट जनरल ने लेह लौटकर पूरी रिपोर्ट सेना मुख्यालय और सेना अध्यक्ष को दी है। सेना की तरफ से पूरे मामले की जानकारी विदेश मंत्रालय और पीएमओ को दी गई है।