Health : काशी की डॉ. बेटी ने गर्भवती महिलाओं को किया जागरूक , नारी सशक्तिकरण के लिए आगे आयीं


वाराणसी ,  डॉक्टर ही ईश्वर का रूप बनकर साक्षात् स्वरूप में कोरोनावायरस महामारी के साथ जंग में कंधे - कंधा मिला कर खड़े हैं । देश में कोरोना के शुरूआतीं समय में सभी विकसित देशों की तुलना में अपने देश स्वास्थ्य सेवाएं अत्यधिक विकसित नहीं थी लेकिन देश के सभी डॉक्टर ने अपना फर्ज निभातें हुए देश सेवा में जुट गयें , कोरोना काल में केवल सामाजिक दूरी एवं सतर्कता का भी ध्यान रखना आवश्यक है , 
काशी की बेटी ने गर्भवती महिलाओं को किया जागरूक  काशी की बेटी डॉ संध्या ने कोरोना महामारी के शुरूआतीं दौर से ही मानव सेवा एवं वैश्विक महामारी से जागरूक करने के लिए समय-समय पर स्वास्थ्य कैंप एवं शिविरों का आयोजन कर यह काशी की बेटी अपना फर्ज निभातीं रहती हैं । 

नारी सशक्तिकरण के लिए आगे आयीं डॉ. संध्या : नारी सशक्तिकरण के लिए आगे आयीं डॉ. संध्या यादव ने बताया कि  महिलाए समाज का अभिन्न अंग है , चाहे वह देश हो या फिर समाज, महिलाओं के स्वास्थ्य की चिंता सभी को होनी चाहिए लेकिन अभी भी महिलाए आर्थिक, सामाजिक, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी पीछे है। हमें इन्हें विकसित कर समाज में सशक्त बनाना हैं , इसी प्रयास को मैं भी कर रहीं हूं ।

गर्भावस्था महिला के जीवन का महत्वपूर्ण :   डॉ संध्या सीनियर रेजिडेंट, प्रसूति विभाग, चिकित्सा विज्ञान संस्थान,  काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं पूर्व चिकित्सक एम.जी.एम हॉस्पिटल ने बताया कि गर्भवती महिलाएं में एनीमिया एक प्रमुख समस्या है।  यह ऐसी स्थिति है, जिसके अंतर्गत रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है।  
WHO का अनुमान है कि हमारे देश में 42 प्रतिशत महिलाएं एवं 65 प्रतिशत गर्भवती महिलाए एनीमिक है। भारत में एनीमिया प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रक्तस्राव, हृदय विफलता, संक्रमण और प्रिकलम्सिया के कारण मातृ मृत्यु के 40 प्रतिशत लक्षण के लिए जिम्मेदार है। 
विश्व स्वास्थ्य संगठन  गर्भवती महिलाओं के लिए प्रतिदिन  60 मि.ग्रा. आयरन अनुपूरण की सलाह देता हैं तथा भारत सरकार गर्भवती महिलाओं के लिए प्रतिदिन100 मि.ग्रा  आयरन अनुपूरण की सलाह देता हैं 
 एनीमिया के उपचार में जागरूकता एवं पौष्टिक व संतुलित आहार की जानकारी जैसे की विटामिन सी, प्रोटीन और लौह से भरपूर आहार, खाने के साथ चाय और काफी के सेवन से दूर रहने की आवश्यकता है। लौह से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दाल, गुड़, चुकंदर, हरि सब्जियां, मेवे, अंडा, मछली, अंजीर आदि के नियमित सेवन और गर्भावस्था के दूसरी तिमाही से आयरन के गोली के सेवन से एनीमिया से बचा जा सकता है।

डा संध्या यादव ने आगे बातचीत में जानकारी दिया कि इंटरनेशनल जनरल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हैल्थ के रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में लगभग 5 लाख से अधिक की मौत गर्भावस्था के दौरान होती है जिसका एक प्रमुख कारण हाई रिस्क प्रेगनेन्सी है । 

भारत में हाई रिस्क प्रेगनेन्सी की दर 20 से 30 प्रतिशत है। जिसमें प्रमुख रूप से उच्च रक्त चाप, मधुमेह, हृदय या गुर्दे की समस्या, ऑटो इम्यून रोग, थायरायड रोग, महिला की आयु 17 साल से कम या 35 साल से अधिक है।
 इसके अतिरिक्त गर्भवती महिला को यदि पूर्व गर्भावस्था के दौरान प्रीइकलम्सिया या इकलम्सिया, बच्चा आनुवंशिक समस्या के साथ पैदा हुआ हो, एच आई वी या हेपेटाइटिस सी  के संक्रमण रहा हो तो वह हाई रिस्क प्रेगनेन्सी  का कारण बन सकता है।
 इससे बचने के लिए महिला को डाक्टर की देखरेख में नियमित रूप से परिछन करवाते रहना चाहिए। 

गर्भावस्था के दौरान हर महिला को भरपूर मात्रा में पानी पीने जरूरी होता है। जहां तक संभव हो जंक फूड से अपने आप को दूर रखें। गर्भवती महिला को हित या योग्य आहार का सेवन हीं करना चाहिए तथा मैथुन, क्रोध एवं शीत से बचना चाहिए।

डॉक्टर बेटी ने काशीवासियों से किया अपील : वर्तमान में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है ऐसे में सभी को अधिक सावधान रहना जरूरी हैं । सामाजिक दूरी एवं मास्क का उपयोग ही संक्रमण को फैलने से रोक सकता हैं।  

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