देश की राजधानी में एक परिवार में शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े रहे हैं, जब पूरा देश शिक्षित होगा, तभी सही मायनों में आजाद होगा। बस तो सारा परिवार तब तक देश की सेवा में लगा रहेगा जब तक पूरा देश शिक्षित नहीं हो जाता। और हमारी यह कोशिश बढ़िया चल रही थी और फिर हम सबकी जिन्दगी में कोरोना वायरस ने प्रवेश किया और ठीक उसके बाद आया लॉकडाउन।
अब तक हमारे घर में इंटरनेट सिर्फ थोड़ी बहुत रिसर्च करने के लिए इस्तेमाल होता था, जो घर के एक कंप्यूटर के साथ जुड़ा हुआ था। लेकिन लॉकडाउन के बाद एकदम से सारी क्लासेस ऑनलाइन हो गयी और चार शिक्षकों और दो छात्रों को भी ऑनलाइन जाना पड़ा।
क्या वाकई में पढ़ाई ऑनलाइन की जा सकती है?
ऑनलाइन कक्षाओं में हर बच्चे पर कैसे ध्यान दे पाएंगे?
एक केमिस्ट्री का अध्यापक ने बताया कि बच्चों को अगर लैब में प्रयोग नहीं करने देंगे, तो पता कैसे चलेगा कि उनमें वैज्ञानिक योग्यता है भी या नहीं। पर इन सब बातों को मैंने बाजू किया और आगे की तैयारी में जुट गया।
सबसे पहले तो दो नए लैपटॉप्स का इंतज़ाम किया गया। फिर हमने सोचा कि ऑनलाइन कैसे पढ़ाया जाता है, इस पर कुछ वीडियोज देख ली जाए। और जब वह बीस मिनट की वीडियो चालीस बार रुकी, तब हमें इस बात की अनुभूति हुई कि मौजूदा संसाधनों से तो बात नहीं बनेगी। लेकिन लॉकडाउन के चलते हमें नया कनेक्शन कौन देगा, यह सोच कर हम असमंजस में पड़ गए। हमारा फ़ोन नेटवर्क Airtel का था, जिससे हमें कभी भी स्पीड या वीडियो की दिक्कत नहीं हुई और थोड़ी रिसर्च करने पर यह भी पता चला कि Airtel ओपेन सिग्नल के हिसाब से स्पीड और वीडियो एक्सपीरियंस देने में अव्वल दर्जे पर है। तो हमने सोचा कि कुछ क्लासेज अपने स्मार्टफोन से ही ले लेंगे और इंटरनेट के लिए भी Airtel को ही कॉल किया जाए।
हमारे नए कनेक्शन का आवेदन बिना किसी झिझक स्वीकार कर लिया गया। अगले ही दिन Airtel के इंजीनियर ने आकर इंस्टॉलेशन की सारी कार्यवाही भी ख़त्म कर दी। यही नहीं, उन्होंने सुरक्षा के सारे नियमों का पालन करते हुए यह काम किया। मन को थोड़ी संतुष्टि मिली और हमने तह-ए-दिल से उन Airtel कर्मचारी का धन्यवाद किया, जो Covid -19 के खतरे के चलते भी दूसरों की मदद करने में जुटे हुए थे। Airtel इंजीनियर ने हमें बताया कि किस तरह Airtel ने इस मुश्किल घड़ी में अपने ग्राहकों का ध्यान रखने के लिए कई नई सुविधाएं उपलब्ध कराईं हैं।
यह सुनकर मुझे लगा कि जब लोग दूसरों के लिए इतना कुछ कर रहे हैं, तो हम भी इस नयी ऑनलाइन टीचिंग से पीछे क्यों हटें? अपने छात्रों के लिए हम इतना तो कर ही सकते हैं। पर ऑनलाइन पढ़ाना बहुत मुश्किल है, उसमें पाठ तैयार करने में मेहनत भी दुगनी लगती है, और उसे बच्चे पसंद कर रहे हैं या नहीं यह आसानी से पता भी नहीं चलता, क्योंकि बच्चे आपके सामने नहीं होते। लेकिन अब 70 दिन बाद थोड़ी आदत भी बन गयी है, और नियम भी तय कर लिए हैं। इतने दिनों में जो मैंने सीखा, वो आपके समक्ष पेश कर रहा हूँ।
ऑनलाइन शिक्षा में यह महत्वपूर्ण है कि स्पष्ट निर्देश दिए जाएं और केवल एक या दो कॉन्सेप्ट एक समय पर समझाए जाएं। जब आप बच्चों से बात करें तो यह ज़रूरी है कि बच्चे अपनी स्क्रीन पर उस कॉन्सेप्ट से रिलेटेड कोई चित्र या वीडियो देख सकें ताकि उनका ध्यान न भटके।
2. पाठ सम्बन्धी सभी नोट्स एक जगह रखें
छात्रों के लिए पाठ सम्बन्धी अधिकतर किताबें, वीडियोज और नवीनतम जानकारी एक जगह सेव कर लें। मैंने इन दिनों में यह देखा है कि जिन बच्चों की रूचि केमिस्ट्री में है वो इस मटेरियल को देखकर मुझे और भी सवाल पूछते हैं और आगे सीखने का भाव व्यक्त करते हैं और जिन बच्चों की रूचि कम है वो इसको अपने कॉन्सेप्ट क्लियर करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
3.पाठ सम्बन्धी गतिविधियों के लिए बनायें समय साऱणी
एक बड़ी गलती जो मैंने शुरू में की वो यह थी कि मुझे लगा कि ऑनलाइन कक्षा का समय और क्लास की कक्षा का समय एक समान होगा। ऐसा बिलकुल नहीं होता। क्योंकि असली कक्षा में पाठ की अवधि कम होती है। ऑनलाइन कक्षा में हर बच्चे पर ध्यान देते हुए गतिविधि या प्रयोग करना संभव नहीं हो पाता। इसीलिए मैं पाठ पढ़ने के बाद हफ्ते में एक बार छात्रों को आमतौर पर छोटे समूहों में बांटता हूँ, जहां वे एक या अधिक गतिविधियों को पूरा करने और चर्चा करने के लिए एक साथ काम करते हैं। फिर वो अपना प्रतिनिधि चुनकर पूरी कक्षा के साथ जो उन्होंने सीखा है, उसे साझा करते हैं।
4. बच्चें कक्षा में ध्यान दें और इसमें भाग भी लें। यदि कोई होमवर्क छात्र को दिया गया है, तो माता-पिता को बच्चों से ज़रूर पूछना चाहिए कि उन्होंने अपना काम पूरा किया की नहीं। ऑनलाइन कक्षाएं केवल तभी सफल हो सकती हैं जब शिक्षक और माता-पिता बच्चों की पढ़ाई के लिए एक साथ आएं।
अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि जैसे-जैसे हमारी टेक्नोलॉजी में सुधार आता जाएगा, शिक्षा के तरीके भी बदलते जाएंगे। शायद आज हमें यह लगता है कि बच्चों के पूर्ण विकास के लिए बच्चों का स्कूल जाकर कक्षा में भाग लेना ज़रूरी है। लेकिन दूसरी तरफ मन में यह भी आता है कि अगर देश में सब बच्चों के पास Airtel जैसा तेज़ नेटवर्क और एक लैपटॉप हो तो शायद हर बच्चा ऑनलाइन क्लासेस की मदद से शिक्षित हो सके और शायद फिर हम पूर्ण स्वराज प्राप्त कर सकें।