UP : कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में वांटेड विकास दुबे का पुलिस विभाग से वास्ता बहुत पुराना

KESHARI NEWS24 • Abhishek Gupta

 उत्तर प्रदेश के कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में वांटेड विकास दुबे का वर्दी वालों से वास्ता बहुत पुराना है। यूपी में 19  साल पहले भाजपा की सरकार थी। तब विकास ने कानपुर के ही शिवली थाने में दिनदहाड़े दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की कथित तौर पर हत्या कर दी थी। उस समय थाने में 5 सब इंस्पेक्टर और 25 सिपाही मौजूद थे।

घटना की एफआईआर संतोष के भाई मनोज शुक्ला ने दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने इन सभी पुलिस कर्मियों को गवाह बनाया था, पर वे गवाही से मुकर गए थे। मनोज की गवाही पर निचली अदालत ने भरोसा नहीं किया। साल 2001 की इस घटना में नामजद विकास 2006 में बरी हो गया। तब उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी।  

राज्य सरकार को अपराध के मुकदमों में निचली अदालत के फैसले पर पुनर्विचार के लिए हाईकोर्ट में अपील करना होता है, लेकिन तत्कालीन सपा सरकार ने हाईकोर्ट में अपील नहीं की। हत्या का यह केस बंद हो गया।

मनोज ने कहा, प्रशासनिक तंत्र ने विकास की मदद की। इसलिए अपराध की दुनिया का पौधा वटवृक्ष बन गया। मैं न्याय की गुहार लगता रहा, लेकिन तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियां विकास के पक्ष में थीं। मेरी कहीं सुनवाई नहीं हुई। कुछ मंत्री विकास की मदद कर रहे थे। विकास के पास एक लाल डायरी है। इसमें वह अपने खास अधिकारियों, नेताओं और उनसे जुड़े लोगों का हिसाब रखता है। अगर पुलिस को डायरी मिलती है तो काफी खुलासे हो सकते हैं।’
विकास दूबे का फेसबुक पर पेज, एक हजार से ज्यादा मिले फॉलोवर
विकास को अब तक दो मामलों में निचली अदालतों से आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। वह गरीबों को शादी, बीमारी और घर की मरम्मत में आर्थिक सहयोग करता रहा है। फेसबुक पर उसका पेज भी है। इसका नाम ‘ब्राह्मण शिरोमणी पं. विकास दुबे’ है। इस पेज पर उसके एक हजार से ज्यादा फॉलोवर हैं।

हालांकि,उससे अधिकांश छात्र और विभिन्न संगठनों से जुड़े हुए युवा हैं। विकास का कानपुर के कई इलाकों में प्रभाव है। उसने जेल में रहते हुए शिवराजपुर से नगर पंचायत का चुनाव भी जीता था। अभी विकास की पत्नी जिला पंचायत सदस्य है।

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