बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी कसरत आरंभ हो गई है। चुनावी बिसात बिछने लगी है। वार-पलटवार तेज हो गए हैं। एक ओर एनडीए के घटक दल सत्ता में वापसी सुनिश्चित करने के लिए अपने जमीनी कार्यकर्ताओं से डिजिटली बातचीत कर रहे हैं तो दूसरी ओर महागठबंधन के घटक दल कभी अलग-अलग तो कभी एक साथ बैठकर विधानसभा चुनाव पर चर्चा-परिचर्चा करने में जुटे हैं। चूंकि बिहार विस चुनाव में अब चंद महीने ही शेष हैं, इसलिए कोरोना काल में भी कोई दल चुनावी तैयारियों में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है।
बिहार के मुख्यमंत्री तथा जदयू के राष्ट्रीय नीतीश कुमार ने खुद प्रदेश से लेकर जिला, प्रखंड व पंचायत स्तर तक के प्रमुख नेताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा सीधी बात की है। कोरोना में सरकार की ओर से दिए जा रहे राहत कार्यों पर ग्रासरूट से फीडबैक भी लिया और चुनाव के मद्देनजर डिजिटली जनता से जुड़ने की तैयारियों का भी निर्देश दिया।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को बिहार भाजपा की कोर कमेटी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बातचीत कर चुनावी तैयारियों में जुट जाने का निर्देश दिया, ताकि एनडीए भारी बहुमत से जीत सके। उसके बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल हर नेता-कार्यकर्ता के साथ वीसी कर रहे हैं। बूथ स्तर पर बनी सप्तर्शी कमेटी से लगातार सम्पर्क बनाए रखने की तैयारी है। माह के अंत में होने वाले पीएम के मन की बात सुनने को इन सप्तर्शियों को कहा गया है।
डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने जब ऑनलाइन वोटिंग की बात कही तो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद उनके खिलाफ बयानों से खड़े हो गए। जवाब में सुशील मोदी ने भी कहा कि लाठी में तेल पिलाने वाले क्या समझेंगे ऑनलाइन चुनाव का पारदर्शी स्वरूप। प्रवासी मजदूरों को प्रदेश लाने और उनके लिए इंतजामात को लेकर भी रोजाना दोनों पक्षों में चिक-चिक चल रही है।
सोनिया से बातचीत में सरकार के फैसलों पर उठाए सवाल कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने शुक्रवार को विपक्षी दल के नेताओं से बात की तो लगभग सभी दलों ने सरकारी फैसलों पर सवाल खड़े किये। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और हम प्रमुख जीतन राम मांझी ने सोनिया गांधी को केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए कई सुझाव दिए। रालोसपा प्रमुख ने सुझावों को नहीं मानने पर आंदोलन की राह पकड़ने का भी आग्रह किया।
तेजस्वी यादव ने कांग्रेस प्रमुख को बताया कि यूपीए के समय बना मनरेगा कानून श्रमिकों की माली हालत सुधारने का सबसे बड़ा फार्मूला है। इसका प्रचार होना चाहिए। रालोसपा प्रमुख ने किसानों को फसल क्षतिपूर्ति के साथ गरीब बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था करने की सलाह दी। हम प्रमुख जीतन राम मांझी ने भी सोनिया गांधी को कुटीर उद्योगों को बढ़ाकर मजदूरों के लिए श्रमदिवस बढ़ाने की सलाह दी।