उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बच्चे के अपहरण और हत्या के मामले में एसएसपी ने सोमवार की देर रात हल्का दारोगा दिग्विजय सिंह और मुख्य हेड कॉन्सटेबल प्रदीप सिंह और सुरेन्द्र तिवारी को सस्पेंड कर दिया है। इनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं। इनके ऊपर कार्य में शिथिलता और अपने दायित्यों का निर्वहन न करने का आरोप है।
आरोप है कि इन्होंने अपहरण और हत्या के मामले में अपने कर्तव्यों और दायित्यों के निर्वहन में शिथिलता और उदासीनता दिखाई है। हालांकि यह नहीं स्पष्ट है कि दारोगा और सिपाहियों ने किस तरह की शिथिलता बरती थी। फिलहाल यह बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने जिम्मेदारों पर कार्रवाई को कहा है जिसके बाद इनके ऊपर कार्रवाई की गई है।
सीएम ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिया :
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और इस मामले में पुलिस की जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने शोक संतप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता की घोषणा की है। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार मामले की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई कराकर अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलाएगी।
मामला का खुलासा : गोरखपुर के पिपराइच थाना क्षेत्र स्थित जंगल छत्रधारी के मिश्रौलिया टोला निवासी महाजन गुप्ता घर में ही किराना की दुकान चलाते हैं और जमीन के कारोबार से जुड़े हैं। पांचवीं में पढ़ने वाला उनका बेटा बलराम रविवार की दोपहर में 12 बजे घर से खेलने जाने को कहकर निकला था। इसके बाद उसका अपरहण हो गया। बलराम के घर वालों के पास रविवार को अलग-अलग समय पर तीन फोन कॉल आई। फोन करने वालों ने एक करोड़ रुपए की फिरौती मांगी।
पहले तो महाजन ने इसे किसी की शरारत समझी लेकिन देर शाम तक बच्चे का कुछ पता नहीं चला तो उन्होंने पुलिस को सूचना दे दी। बालक के अपहरण और एक करोड़ रुपए फिरौती मांगे जाने की सूचना ने पुलिस के होश उड़ा दिए। एसएसपी ने इस मामले में एसटीएफ और क्राइम ब्रांच को लगा दिया।
आधार पर उठाए गए दो युवकों की निशानदेही पर पुलिस ने किराना व्यापारी के बेटे बलराम की लाश को सोमवार की शाम जंगल के किनारे एक बोरे से बरामद किया गया । इसके बाद पुलिस विभाग पर सवाल उठ रहा हैं ।